ज़िंदगी के हर मोड़ पे कोई मिलता हैं,
फिर भी शाक्स एक भी साथ ना रहे सदा,
हर एक के मंज़िल अलग होती हैं,
तभी तो लफ्ज़ दो आकर कहे अलविदा!
फिर भी शाक्स एक भी साथ ना रहे सदा,
हर एक के मंज़िल अलग होती हैं,
तभी तो लफ्ज़ दो आकर कहे अलविदा!
that muted yet strong power, always striving to explode either as thoughts or in a poetic frame
I am never alone Those days have gone long There are voices, there are voices… There are voicessssss up - when I close my eyes ...
1 comment:
आते जाते लफ्जों की क्या मजाल?
बून रही है आप अपने आसुओं से जाल,
ठहरते लम्हों मे मज़ा लीजिये,
हरगिज़ रहोगे खुश हाल ,
लोगों का क्या भरोसा?
जब मन मंजिल हो बेहाल!
अरे हुज़ूर अपने मे मस्त रहिये,
सीखेंगे दूसरे भी आपकी,
मदमस्त भरी चाल....
Post a Comment