This is a poem about how a bride groom sees his bride ....
The way she would walk into his room and life, her every move has an unexplainable feeling in his heart.....
Read out the poem to know how he describes about her .....!
सूरज डूबके अपने लाल रंग
मिला दिया होटों के लाली के संग
काली रात में दिल में हैं कुछ हलचल
की आँखों में हैं खातिल काजल
चाँदनी भी जलने लगी उसकी रोशनी से
बन्नो मेरी थी पारी,.. कसम से!
लेहर धीरे से उटी सागर में,
जैसे ही वो आई, मेरे गली में...
बरस रही हैं काली घटा...
होले से उसकी गूँघट हैं उटा...!
बेहाक गये हम मदहोशी में
बोल रहे हैं आँखें ख़ामोशी में...
हवा भी गाये मेरे ख़ुशी में यू खोके,
तो नाचे हैं बालिया कानो में उसके....
मेहंदी रचे हाथ था मेरे दिल पर
और निगाहे मेरे उसके होठों के लाली पर
ज़ुल्फ़ॉ में पाया तारे बिन रात,
जन्नत को पालिया मैने उसके सात
शुकार हैं मैने उसे पाया हाय रब्बा!!
जिसकी नशे मैं हैं ये दिल डूबा....!
तुम्ही थी मेरे दिल की चाहत..,
बन्नो थी मेरी, जैसे की खुदरत...!
The way she would walk into his room and life, her every move has an unexplainable feeling in his heart.....
Read out the poem to know how he describes about her .....!
सूरज डूबके अपने लाल रंग
मिला दिया होटों के लाली के संग
काली रात में दिल में हैं कुछ हलचल
की आँखों में हैं खातिल काजल
चाँदनी भी जलने लगी उसकी रोशनी से
बन्नो मेरी थी पारी,.. कसम से!
लेहर धीरे से उटी सागर में,
जैसे ही वो आई, मेरे गली में...
बरस रही हैं काली घटा...
होले से उसकी गूँघट हैं उटा...!
बेहाक गये हम मदहोशी में
बोल रहे हैं आँखें ख़ामोशी में...
हवा भी गाये मेरे ख़ुशी में यू खोके,
तो नाचे हैं बालिया कानो में उसके....
मेहंदी रचे हाथ था मेरे दिल पर
और निगाहे मेरे उसके होठों के लाली पर
ज़ुल्फ़ॉ में पाया तारे बिन रात,
जन्नत को पालिया मैने उसके सात
शुकार हैं मैने उसे पाया हाय रब्बा!!
जिसकी नशे मैं हैं ये दिल डूबा....!
तुम्ही थी मेरे दिल की चाहत..,
बन्नो थी मेरी, जैसे की खुदरत...!